सनातन धर्म संसद का उद्देश्य और महत्ता
तीसरी सनातन धर्म संसद का आयोजन ऐसे समय में हुआ जब देश और समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों को लेकर चिंतन तेज है। इस धर्म संसद का उद्देश्य न केवल सनातन धर्म के अनुयायियों को एक मंच पर लाना था, बल्कि उनके अधिकारों, परंपराओं और अस्तित्व की रक्षा के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना भी था।
धर्म संसद की विशेषताएं:
देशभर के संत, महंत, और धर्मगुरु इस संसद में शामिल हुए।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक “सनातन बोर्ड” की स्थापना की मांग की गई।
समाज में जागरूकता और आत्मरक्षा के महत्व को लेकर गहन चर्चा की गई।
अगले वर्ष प्रयागराज कुंभ मेले में चौथी धर्म संसद आयोजित करने की योजना बनाई गई।
धर्म संसद में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
1. सनातन बोर्ड की आवश्यकता
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने वक्फ बोर्ड के समान सनातन बोर्ड बनाने की मांग करते हुए कहा कि हिंदू धर्म को संस्थागत संरक्षण की आवश्यकता है। यह बोर्ड न केवल मंदिरों और तीर्थस्थलों की सुरक्षा करेगा, बल्कि सनातन धर्म के सिद्धांतों को सशक्त रूप से समाज में स्थापित करने में मदद करेगा।
2. आत्मरक्षा और शस्त्र-शास्त्र का महत्व
पं. प्रदीप मिश्रा ने धर्म की रक्षा के लिए आत्मरक्षा की अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि “हमारे देवता कभी बिना शस्त्र के नहीं चलते, यह संकेत है कि धर्म की रक्षा के लिए हमें भी सक्षम होना चाहिए।” उन्होंने शस्त्र और शास्त्र को धर्म और संस्कृति की रक्षा का मूलमंत्र बताया।
3. जनसंख्या और घुसपैठ का मुद्दा
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा कि घुसपैठ एक गंभीर समस्या बन चुकी है। उन्होंने चिंता जताई कि घुसपैठियों के जरिए जनसंख्या असंतुलन पैदा किया जा रहा है, जिससे भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को खतरा है। उन्होंने सरकार से इस पर कड़ा कदम उठाने की मांग की।
4. हिंदू समाज की एकता और जागरूकता
महंत राजू दास ने कहा कि अगर हिंदू समाज जागरूक और संगठित नहीं हुआ, तो अन्याय और उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि जम्मू-कश्मीर, बांग्लादेश और दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में हिंदुओं को विस्थापन और उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है।
समाज को संदेश: जागरूकता और संगठन की शक्ति
धर्म संसद में वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि सनातन धर्म न केवल धार्मिक आस्था है, बल्कि भारतीय संस्कृति की जड़ है। इसे संरक्षित करने के लिए हर हिंदू को सतर्क और संगठित होना चाहिए।
धर्म की रक्षा:
धर्म संसद ने स्पष्ट किया कि हर सनातनी का धर्म के प्रति न केवल आस्था, बल्कि उसकी रक्षा का कर्तव्य भी है। यह तभी संभव है जब समाज में जागरूकता बढ़े और संगठन मजबूत हो।
संविधान और धर्म का संतुलन:
वक्ताओं ने भारतीय संविधान का सम्मान करते हुए कहा कि इसमें दिए गए अधिकारों का उपयोग कर समाज को संगठित करना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं की एकता और संगठित प्रयास से ही धार्मिक संतुलन और सुरक्षा संभव है।
भविष्य की योजनाएं और आह्वान
प्रयागराज कुंभ में अगली धर्म संसद
2025 में प्रयागराज कुंभ मेले में चौथी सनातन धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। यह संसद न केवल धर्म और समाज से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेगी, बल्कि सनातन बोर्ड की स्थापना की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
आम जनता के लिए संदेश
धर्म संसद ने समाज को जागरूक करते हुए आह्वान किया:
1. परिवार में शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दें।
2. धार्मिक स्थलों और परंपराओं की रक्षा करें।
3. संगठित होकर धर्म की रक्षा के लिए आगे आएं।
निष्कर्ष
तीसरी सनातन धर्म संसद ने यह संदेश दिया कि सनातन धर्म की रक्षा केवल धार्मिक गुरुओं का नहीं, बल्कि हर अनुयायी का दायित्व है। धर्म संसद ने धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की और हिंदू समाज को एकजुट होकर आगे बढ़ने का आह्वान किया।